अब कोरोना से बचाएगी भांग : अमेरिका में रिसर्च, ऐसे वायरस को शरीर में घुसने से रोकेगी, जानिए कैसे होगा इस्तेमाल Read it later

 

अब कोरोना से बचाएगी भांग
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भांग का नाम सुनते ही मन में नशीले पदार्थ क छवि बनती है। ये नशीला पौधा भी अपन कोरोना के इलाज में कारगर साबित होने वाला है। जी हां! अभी तक हम ये ही सुनते आए हैं कि भांग, गांजा और चरस जो की एक ही पौधे यानि भांग के ही भाग हैं और इससे नशे का उत्पादत तैयार होता है। हाल ही रिसर्च में पता चला है कि जंगलों में मिलने वाला ये पौधा कोरोना वायरस का सफाया करने में भी रामबाण सिद्ध हो सकता है।

 इसका मतलब ये कतई नहीं है कि ये खबर पढ़ते ही आप कल से भांग के किसी भी अंश का सेवन करने  लग जाएं… इसे कैसे दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा? और शरीर में ये दवा के तौर पर कैसे काम करेगी? इस पर शोध फिलहाल रनिंग प्रॉसेस में है। लेकिन रिसर्च में ये तो साबित हो गया है कि ये कोरोना के इलाज में कारगर है। अब जानिए इस पौधे से कैसे कोरोना का खात्मा होगा।

दरअसल जर्नल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट्स में प्रकाशित एक नए शोध में भांग के पौधे के कोरोना संक्रमण के खिलाफ कारगर होने का दावा किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार भांग के पौधे में कैनाबिस सैटिवा नामक कुछ ऐसे कंपाउंड्स होते हैं, जिनकी मदद से वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सकता है। इससे पहले यूनिवर्सिटी ऑफ लेथब्रिज के वैज्ञानिकों ने भी इस विषय पर शोध किया था। उसमें भी इसे कोरोना के इलाज में कारगर होने की संभावना जताई गई थी। 

शोध में क्या सामने आया?

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शोध में क्या सामने आया?

भांग और कोरोनावायरस के बीच संबंध को जानने के लिए, ग्लोबल हेम्प इनोवेशन सेंटर, कॉलेज ऑफ फार्मेसी और अमेरिका के ओरेगन स्टेट में लिनुस पॉलिंग इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने मिलकर शोध पर काम किया है।

शोध में भांग के पौधे में पाए जाने वाले दो कंपाउंड, कैनाबीगेरोलिक एसिड (CBGA) और कैनाबीडियोलिक एसिड (CBDA) का अध्ययन किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि ये कंपाउंड कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) के स्पाइक प्रोटीन से मिलने में सक्षम हैं। यहां ये गौर करने की बात है कि वायरस का यही स्पाइक प्रोटीन मानव शरीर में प्रवेश करता है और उनकी सेल्स (कोशिकाओं) को नुकसान पहुंचाता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर हम इस स्पाइक प्रोटीन को पहले से ही भांग में पाए जाने वाले कंपाउंड से जोड़ दें तो यह हमारे शरीर में संक्रमण नहीं कर पाएगा।

भांग के कंपाउंड का मस्तिष्क पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

भांग के कंपाउंड का मस्तिष्क पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

वैज्ञानिकों का कहना है कि भांग के जो कंपाउंड वायरस से लड़ने में कारगर होते हैं, वे साइकोएक्टिव नहीं होते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो इनका सेवन करने से हमारा दिमाग नशे का शिकार होकर नियंत्रण नहीं खोता है। शोध में यह भी पाया गया है कि भांग के ये कंपाउंड ब्रिटेन में पाए जाने वाले कोरोना के अल्फा वेरिएंट और दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने वाले बीटा वेरिएंट के खिलाफ समान रूप से प्रभावी हैं।

भांग का इस्तेमाल कोरोना की वैक्सीन बनाने में किया जा सकता है

भांग का इस्तेमाल कोरोना की वैक्सीन बनाने में किया जा सकता है

भांग में मौजूद एसिड हमारे शरीर को अच्छी सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि भविष्य में इनका इस्तेमाल वैक्सीन बनाने और कोरोना वायरस को टारगेट करने के लिए एंटीबॉडी विकसित करने में किया जा सकता है। इसके अलावा, भांग के इन कंपाउंड्स को ओरली  (मुंह के माध्यम से) भी लिया जा सकता है। हालांकि अभी तक इसके इस्तेमाल की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है।

वर्तमान में, भांग के पौधे में पाए जाने वाले कंपाउंड फाइबर और पशु भोजन का स्रोत हैं। वे आमतौर पर सौंदर्य प्रसाधन, बॉडी लोशन और डाइट्री सप्लीमें के तौर पर उपयोग में लिया जाता है।  

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