Ram Navami Special: श्रीराम 14 वर्ष के वनवास में से 12 साल चित्रकूट रुके थे, अगले 2 साल में सीता हरण और रावण का वध किया Read it later

आज 10 अप्रैल रामनवमी पर्व (Shri Ram Navami Special) मनाया जा रहा है। (why ram navami is celebrated) भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री राम का जन्म त्रेतायुग में राजा दशरथ के यहाँ हुआ था। श्रीराम और सीता के विवाह के कुछ दिनों बाद ही दशरथ ने उन्हें राजा बनाने की घोषणा की थी।

(Shri Ram Vanvas Story) राज्याभिषेक से ठीक पहले, कैकेयी ने दशरथ से अपने दो वरदान मांगे, श्री राम के लिए वनवास और भरत के लिए राज्य। इसके बाद श्री राम, सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास में चले गए। वनवास 14 साल के लिए था। इसमें से वह लगभग 12 वर्ष तक चित्रकूट में रहे, लेकिन इसके बाद वे चित्रकूट से पंचवटी पहुंचे। सीता का अपहरण पंचवटी से हुआ था। इसके बाद सीता की खोज हुई और रावण का वध हुआ। इस सब में करीब दो साल लग गए।

 

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मध्य प्रदेश के डॉ. राम गोपाल सोनी ने राम वन गमन पथ नामक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक के अनुसार जानिए श्री राम ने वनवास के दौरान किन स्थानों का भ्रमण किया था और उन्होंने अयोध्या से लंका की यात्रा कैसे की थी।

 

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अयोध्या से चित्रकूट प्रस्थान

वनवास जाते समय श्री राम, लक्ष्मण और सीता अयोध्या से सुमंत्र के रथ पर सवार हुए थे। सबसे पहले उन्होंने तमसा नदी पार की। इसके बाद श्रृंगवेरपुर से गंगा नदी पार कर प्रयागराज पहुंचे। (Shri Ram Vanvas Story) प्रयागराज से आगे बढ़ते हुए वे यमुना नदी को पार कर वाल्मीकि आश्रम पहुंचे। इसके बाद वे चित्रकूट पहुंचे। अयोध्या से चित्रकूट की दूरी करीब 270 किलोमीटर है। इस यात्रा में लगभग 140 किमी की यात्रा सुमंत्र के रथ से हुई और उसके बाद पैदल चलकर चित्रकूट पहुंचे।

 

अमरकंटक से चित्रकूट प्रस्थान shri ram

 

अमरकंटक से चित्रकूट प्रस्थान

श्रीराम, लक्ष्मण और सीता लगभग 12 वर्षों तक चित्रकूट में रहे थे। (Shri Ram Vanvas Story) चित्रकूट के बाद तीनों अनुसूया के आश्रम पहुंचे थे। यहां से वे टिकरिया, सरभंगा आश्रम, सुतीक्षान आश्रम, अमरपाटन, गोरसारी घाट, मार्कंडेय आश्रम, सारंगपुर होते हुए अमरकंटक पहुंचे। चित्रकूट से अमरकंटक तक का सफर करीब 380 किलोमीटर का था।

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Ram Navami Special: श्रीराम 14 वर्ष के वनवास में से 12 साल चित्रकूट रुके थे shri ram


पंचवटी से अमरकंटक (shri ram)

अमरकंटक के बाद श्री राम (Shri Ram), लक्ष्मण और सीता पंचवटी की ओर चले गए। (Shri Ram Vanvas Story) उन्होंने गोदावरी नदी के तट पर पंचवटी में एक झोपड़ी बनाई थी। उस स्थान पर गोदावरी धनुषाकार थी। यहीं पर श्रीराम और जटायु का परिचय हुआ था।

जटायु ने श्री राम से कहा कि वह राजा दशरथ का मित्र है। एक दिन सूर्पनखा पंचवटी पहुंची और वह श्रीराम पर मोहित हो गई। (Shri Ram Vanvas Story) जब उन्होंने श्रीराम से विवाह करने की बात कही तो श्री राम ने मना कर दिया। इसके बाद सूरपनखा लक्ष्मण के पास पहुंची। जब लक्ष्मण ने भी विवाह करने से इनकार कर दिया, तो सूरपनखा  सीता को मारने के लिए आगे बढ़ी और लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी।

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वहां से सूरपनखा खर-दूषण पहुंची। खर भूषण पंचवटी इलाके में रह रहा था। लक्ष्मण को मारने खर-दूषण श्रीराम के पास पहुंचा। श्रीराम-लक्ष्मण ने उसका वध किया। इसके बाद सूर्पनखा रावण के पास पहुंची और रावण ने एक योजना बनाई और मारीच की मदद से मां सीता का अपहरण कर लिया।

 

पंचवटी से किष्किंधा प्रस्थान

सीता के हरण के बाद जटायु ने उन्हें रावण के बारे में बताया, तब श्रीराम पंचवटी से दक्षिण की ओर बढ़ने लगे। पंचवटी से लगभग 1255 किमी की यात्रा कर श्री राम दक्षिण दिशा में किष्किंधा राज्य पहुंचे। उस समय किष्किंधा रामेश्वरम से लगभग 25 किमी दूर ऋष्यमूक पर्वत पर स्थित था।

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हनुमान जी ने पहली मुलाकात में ही पूछा था कि आप पम्पा नदी के किनारे क्यों घूम रहे हैं। वर्तमान में पम्पा नदी सबरी आश्रम में अय्यपा स्वामी मंदिर से लगभग 4-5 किमी दूर है। इससे स्पष्ट है कि किष्किन्दा नगर दक्षिण दिशा में पम्पा नदी के समीप था।

 

किष्किंधा से लंका प्रस्थान

किष्किंधा में श्री राम (Shri Ram) ने बाली का वध कर सुग्रीव को राजा बनाया। इसके बाद सुग्रीव ने चारों दिशाओं में सीता की खोज में एक वानर सेना भेजी। दक्षिण दिशा में हनुमान जी, अंगद, जामवंत, नल-नील आदि ने वानर भेजे थे। दक्षिण दिशा में हनुमान जी की मुलाकात संपाति नाम के एक गिद्ध से हुई। संपाति ने उन्हें सीता के बारे में बताया कि सीता 100 योजन दूर समुद्र में स्थित लंका में हैं।

हनुमान जी लंका पहुंचते हैं और सीता को खोजकर किष्किंधा में श्री राम के पास आए। इसके बाद श्री राम वानर सेना के साथ दक्षिण दिशा में समुद्र तट पर पहुंचे। इधर, नल-निल की सहायता से समुद्र पर एक पुल बांधकर श्रीराम पूरी वानर सेना के साथ लंका पहुंचे। राम ने लंका में रावण का वध किया और सीता को मुक्त कराया। इसके बाद श्रीराम पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे।

 

 

 

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