Sawan में शिवाराधना से जुड़ी जरूरी बात: जानिए कैसे प्रसन्‍न होंगे महादेव, ऐसे करें पूजा Read it later

Sawan: सावन का पहला सोमवार (Worship Method Of Sawan Monday) बीत चुका है। वहीं अभी तीन सावन सोमवार और हैं। यह दिन और महीना दोनों ही शिव को बहुत प्रिय हैं। शिव पुराण में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन का महीना भगवान शिव और देवी पार्वती से जुड़ा है। इसलिए यह महादेव को बहुत प्रिय है।

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महादेव को इसलिए प्रिय है सावन माह

पौराणिक मान्यता के अनुसार माता सती ने हिमालय पर्वत राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने सावन के महीने में ही महादेव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने पार्वती की इच्छा पूरी की और उनसे विवाह किया। सावन में ही भोलेनाथ ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में प्राप्त किया था। इसलिए यह महीना भगवान शिव का विशेष प्रिय माना जाता है।
Worship Method Of Sawan Monday
Photo | Getty Images

सावन सोमवार की पूजा विधि

सावन सोमवार के दिन प्रात: सुर्य उगने से पहले उठना चाहिए। इसके बाद नित्य कर्मों को पूरा कर काले तिल को पानी में मिलाकर स्नान करें। इसके बाद महादेव के मंदिर जाएं। यहां सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद शिवजी का जलाभिषेक करें। जलाभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बिल्वपत्र और मदार के फूल चढ़ाएं। शिव पुराण के अनुसार मान्यता है कि इन फूलों और पत्रों को चढ़ाने से ही पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इसके बाद महादेव को पवित्र धागा यानी जनेऊ  अर्पित करें।
इसके बाद शिवलिंग श्रृंगार करें और अगरबत्ती और दीप जलाकर आरती करें। आरती पूर्ण होने के बाद पूजा में हुई गलती के लिए महादेव से क्षमा मांगें। वहीं विवाहित लोगों को अपने जीवन साथी के साथ शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान “ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नम:” मंत्र का जप करते रहें।
Worship Method Of Sawan Monday
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 इसलिए इस माह शिव पूजा ज्यादा सफल होती है

शिव पुराण की विद्याेश्वर संहिता के अध्याय 16 में शिव कहते हैं कि महीनों में मुझे श्रावण (सावन) बहुत प्रिय है। इस महीने में श्रावण नक्षत्र के साथ पूर्णिमा है। इसी कारण इस मास को श्रावण भी कहा जाता है। सावन के महीने में सूर्य अधिकतर समय कर्क राशि में ही रहता है। जब सूर्य कर्क राशि में होता है तो उस समय की जाने वाली शिव पूजा शीघ्र ही सफल हो जाती है।

सावन सोमवार को सुहागिन महिलाओं की व्रत रखने की विधि 

सावन सोमवार के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं को सोमवार को सुबह जल्दी उठ स्नान के बाद पूरा श्रृंगार करना चाहिए। इसके बाद वे शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लेनाचा चाहिए। इसके बाद मां पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ानी चाहिए।
Worship Method Of Sawan Monday
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जरूरतमंदों को दान देने की परंपरा

शास्त्रों के अनुसार भी सावन सोमवार के दिन जरूरतमंद लोगों को अन्न और धन दान करने की परंपरा का उल्लेख मिलता है। इस दिन छाता, कपड़े और जूते का भी दान देने का विधान है। इस पर्व पर किसी नदी या तालाब में मछली को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। वहीं गाय-बैल को हरा चारा भी खिलाया जा सकता है।
 
 

 

सावन में इस बार 4 सोमवार

सावन माह 12 अगस्त तक है। वहीं इस बार सावन में चार सोमवार हैं। पहला सोमवार 18 जुलाई को बीत चुका है। वहीं दूसरा 25 को, तीसरा 1 अगस्त को और चौथा 8 अगस्त को आएगा। सावन में 25 जुलाई और 9 अगस्त को दो प्रदोष हैं। ध्यान दें कि 25 जुलाई का प्रदोष सोमवार को ही आ रहा है, इसलिए इसका ज्यादा महत्व है। इसे सोम प्रदोष कहते हैं। इस तिथि पर शिव और माता पार्वती का अभिषेक जरूर करें।

 

 
 

सावन सोमवार 2022 (Sawan Somwar 2022 Date Calendar)

  • पहला सावन सोमवार- 18 जुलाई 2022
  • दूसरा सावन सोमवार- 25 जुलाई 2022
  • तीसरा सावन सोमवार- 1 अगस्त 2022
  • चौथा सावन सोमवार- 8 अगस्त 2022
 

सावन में रखें इन बातों का ध्यान (Sawan 2022 Rules)

सावन में भगवान भोलेनाथ की पूजा का फल तभी मिलता है जब कुछ सावधानियां बरती जाएं। सावन में तामसिक भोजन से बचें। 

  • सावन में शिवजी का वरदान पाना है तो मांसाहारी भोजन, शराब, हरी पत्तेदार सब्जियां, बैगन, लहसुन, प्याज का त्याग करें।
  • सावन के पूरे महीने शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है, इसलिए दूध का सेवन न करें। वैज्ञानिकों के अनुसार इन दिनों यानी श्रावण मास में  दूध वात बढ़ाने का काम करता है।
  • मान्यता है कि श्रावण मास में शरीर पर तेल भी नहीं लगाना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
  • शिव भक्ति के लिए सावन सबसे पवित्र महीना है, ऐसे में केवल एक समय की नींद लें, बाकी दिन शिव भक्ति में लीन रहना चाहिए।
  • जो व्यक्ति सच्चे मानस से महादेव की पूजा करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, लेकिन महादेव की भक्ति का फल तभी मिलता है, जब विचारों में सकारात्मकता आती है। सावन में किसी का अनादर न करें,  वहीं कोई भी अधार्मिक कार्य न करें।
Shiv Puja Vidhi
फोटोः सोशल मीडिया।

 

सूर्यास्त के बाद इन विभिन्न समय पर भी कर सकते हैं शिव पूजा

शिव पुराण में लिखा है कि शिव पूजा, अभिषेक सूर्यास्त के बाद भी किया जा सकता है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि पर रात में ही विशेष शिव पूजा की जाती है। यदि आप सावन में किसी कारणवश सुबह पूजा नहीं भी कर पाएं तो शाम छह बजे से भी शिवपूजा की जा सकती है।

गन्ने के रस शिवलिंग अभिषेक से होती है सभी सुखों की प्राप्ति

शिवलिंग पर जल और दूध के अलावा गन्ने के रस भी चढ़ाएं। बता दें कि सभी सुखों की कामना के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करने का विधान है। वहीं शाम छह बजे के बाद रात करीब नौ बजे दूसरी पूजा की जा सकती है। इस पूजा में दही से अभिषेक करने का विधान है। तीसरी पूजा रात 12 बजे कर सकते हैं। इस समय पूजा में दूध से अभिषेक करना चाहिए।

वहीं रात के 3 बजे चौथी शिव की पूजा की जा सकती है। इसी तरह सोमवार की रात को चार बजे यानी मंगलवार की सुबह 4 बजे की गई शिव पूजा भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाली मानी जाती है। इस प्रकार पूजा करने के बाद मंगलवार की सुबह ही किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अपने घर ले जाकर भोजन कराना चाहिए।

सावन में अलग-अलग तरह के अनाज चढ़ाकर भी शिव पूजा करने की परंपरा है। शिवलिंग पर जल के साथ दूध, बिल्वपत्र, सफेद आंकड़े के फूल, चावल, जौ, गेहूं, मूंग आदि अनाज भी चढ़ाकर भी पूजा कर सकते हैं।

Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। थम्सअप भारत किसी भी तरह की मान्यता की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी धार्मिक कर्मकांड को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।

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